
नहीं चाहिए
ख़ैरात में तेरा इश्क़ नहीं चाहिए,
ख़ैरात में तेरा इश्क़, नहीं चाहिए,
काफ़िर, गाफ़िल,कहो चाहे खुदगर्ज़,
मगर इल्ज़ाम, फ़रेबी नहीं चाहिए,
यूँ तो हूँ आज भी मैं तन्हा,
मगर उसकी याद अब नहीं चाहिए,
भीग ही गया जब अंधेरो में,
तो अब तेरा यूँ नज़र आना ,नहीं चाहिए,
इल्ज़ाम जो लगा है इश्क़ का,
वो इश्क़ ही अब नहीं चाहिए,
हाँ ,मिल जाये अगर मौत,
तो ये जिंदगी किसे चाहिए,,,
-ग़ाफ़िल (शायर )
Majaa aa gayaa padhkar……umda.
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nice miss Anushka
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The poet is someone else please – Its by Gafil 🙂
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sorry i didnt know… read it and looked nice…AND THANK YOU FOR BRING SUCH A NICE WRITING…
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You are welcome!
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रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज, इसलिए लफ्ज़ों से तुम को छू लिया मैंने। Thanks for Sharing this awesome Love Shayari. 😍
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Kaatil!
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👍
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